राख से मिलनी या कब्र में मकान होगा l
एक माँ है, जो बहुत रोएगी ये सोच कर
की शायद पढ़ने न दिया होता, तो ज़िंदा होती l
एक पिता है जो कवि सम्मलेन की तस्वीरों को मसल के,
मेरी आवाज़ सुनने की कोशिश करेगा l
एक भाई है, जो हर रात सोचेगा यही,
की शायद साथ रहता हर वक़्त तो ज़िंदा होती l
मेरी कहानियों के कुछ पढ़ने वाले भी हैं,
जो कुछ वक़्त के लिए सोच लेते हैं दुनिया ठीक है,
कुछ बच्चे हैं जो मेरे क़दमों पे चलते हैं,
सोचते हैं की कल की सुबह वैसी होगी,
जैसी मेरी कहानियों में रची है मैंने l
मुझे पढ़ने वाले, उम्मीद को,
मेरे साथ ही दफना देंगे,
साहस मेरे शब्दों का,
मुख अग्नि में जला देंगे l
सोचेंगे यही हश्र होता है,
रिवायतों पे ऊँगली उठाने का,
राष्ट्र गान में बैठे रहने का,
और बीफ बर्गर खाने का l
सोचेंगे सांस ली अगर
तो मार दिए जाएंगे,
जो खून को खून कहा,
तो गाड़ दिए जाएंगे l
एक दिन मरने से पहले,
हर दिन मरना पसंद करेंगे l
मेरे साथ अपनी डी पी लगा कर,
संतोष से सो जाएंगे,
मै भी यही सोचूंगी
ज़िन्दगी के उस पार,
थोड़ा पहले मर गई होती
तो ज़िंदा होती l
Bahot Khoob
ReplyDeletevery well penned .. keep writing
ReplyDeleteHey keep posting such good and meaningful articles.
ReplyDeleteVery interesting blog. A lot of blogs I see these days don't really provide anything that attract others, but I'm most definitely interested in this one. Just thought that I would post and let you know.
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